
सावन में नगरपालिका द्वारा विभिन्न सड़कों पर जहां-तहां मुहैया कराए गए निःशुल्क स्विमिंग पूल में से किसी एक का शिकार हुए हाजी की खाकी पैंट नीचे से लगभग चार इंच तक भीग कर ऐसे बदरंग लग रही थी जैसे नक़्शे में पीओके। मुझे इस बात का बख़ूबी पता था कि हाजी पण्डित को खुले की बरसात छोड़िए परम एकांत वाले गुसलखाने तक में भीगना पसंद नहीं! ये हालत देख मैंने उन्हें छेड़ा, ‘क्या हाजी! पाजामे में ही गंगा स्नान कर आए, या मानसून ने पप्पी ले ली?’
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